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भूलता नहीं

भूलता नहीं

भूलकर भी भूल नहीं सका।
याद आकर भी याद रखा।
कितनो से जीवन में मिला।
पर बातें सबकी याद रखा।।


मंजिले खोजता रहा उम्र भर।
जो मिली भी और नहीं मिली।
पर लक्ष्य को जिंदा रखा।
इसलिए सफलता पा लिया।।


आदतें नहीं है हादसे भूलने की।
न ही घटनाओं को भूलने की।
बस वक्त का इंतजार किया।
और उन्हें दोहराने नहीं दिया।।


बड़ी चालाकी करते है लोग।
सब कुछ पाने के लिए।
इसलिए अपनों के साथ ही।
घर में बड़ा खेल खेलते है।।


इंसान का नसीब उसकी मेहनत है।
जो घर बैठे किसी को नहीं मिलता।
उसके लिए परिश्रम करना पड़ता है।
तब जाकर दो वक्त खा पाता है।।


जय जिनेंद्र

संजय जैन "बीना" मुंबई
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