चला गया वह दौर पुराना चिट्ठी का,
कुशल यहाँ सब, लिखना चिट्ठी का।माँ ठीक है पर दादी को खाँसी आई,
सारे घर का हाल बताना चिट्ठी का।
नाना- नानी कैसे हैं, मामी के क्या हाल,
चुन्नू मुन्नू बड़े हो गए, रखते होंगे ख्याल।
पूछ रही माँ खबर सुनाना, अपनी श्यामा गैया की,
बहुत दिनों से आए नहीं, बाबा पूछ रहे सवाल।
गिरधारी चाचा की बिटिया, चुन्नू से तो बहुत बड़ी थी,
पिछली बार बताए भैया, बी ए तक लिखी पढ़ी थी।
शादी की बात चली क्या, या कोई रिश्ता बतलाऊँ,
चाचा से पूछ बताना, चाची इस पर खूब लडी थी।
सभी बड़ों को राम राम, छोटों को प्यार जताना,
कम लिखा ज्यादा पढ़ना, शब्दों में मुझको तकना।
बच्चों से चिट्ठी लिखवाती, बातें सारी बतलाती,
पता नहीं क्या लिखा, ख़त में मुझको ही पढ़ना।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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