चिडिया
चिडिया को देखा है मैने, कैसे रोज नहाती,अपने बच्चों के संग फिर, दाना चुगने जाती।
जल्दी उठती, मेहनत करती, नही कभी घबराती,
सुबह से लेकर शाम तलक, उडती गाती जाती।
चिडिया को देखा है मैने, कैसे रोज नहाती।
नील गगन में कभी है उडती, कभी जमीं पर आती,
कभी डाल पर किसी बैठकर, मीठा गीत सुनाती।
चिडिया को देखा है मैने, कैसे रोज नहाती।
मेहनत करती तिनके लाकर, सुंदर घर बनाती,
सर्दी गर्मी और वर्षा से, कभी नही घबराती।
चिडिया को देखा है मैने, कैसे रोज नहाती।
उसकी बोली मधुर सुहावन, सबके मन को भाती,
नन्हीं चिडिया घर आँगन में, सुबह सवेरे आती।
चिडिया को देखा है मैने, कैसे रोज नहाती।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com