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जो लोग अपने धर्म पर अभिमान नहीं करते,

जो लोग अपने धर्म पर अभिमान नहीं करते,

वो लोग अपनी संस्कृति का मान नहीं करते।
राष्ट्र की खातिर क्या सर कटायेंगे कमीने,
जो लोग माँ- बाप का सम्मान नहीं करते।


धर्म- मतलब अनुशासन है, बात समझ लें,
संस्कार- मतलब नियम है, बात समझ लें।
सभ्यता- संस्कृति, पुरखों की विरासत है,
सभ्य आचरण हमको करना, बात समझ लें।


क्या होती है धर्मनिरपेक्षता, कोई बता दे,
शब्दावली में लिखा अर्थ, कोई दिखा दे।
जाते हैं जो चर्च और मस्जिद में प्रतिदिन,
धर्मनिरपेक्षता की बातें, कोई उन्हें बता दे।


कहते हैं सब हिन्दू, धर्मनिरपेक्ष हो जाओ,
अपनी संस्कृति से सब, निस्तेज हो जाओ।
हिन्दू करता मान, सभी धर्मों का फिर भी,
हमसे ही कहते हैं सब, खामोश हो जाओ।


लुटती अस्मत, बहन बेटियों की भारी है,
धर्मान्तरण का खेल देश में, अभी जारी है।
नहीं किया गर ध्यान, इस खेल पर तुमने,
भारत में अलग राष्ट्र निर्माण, फिर तैयारी है।


इस्लामाबाद के पक्षधर भी आगे आये हैं,
इस्लामी बने मुल्क, अभियान चलाये हैं।
वंश वृद्धि-आतंकवाद, इसी की एक कड़ी है,
हिंदुत्व पर हमला कर, इसे मिटाने आये हैं।


राष्ट्र का अपमान कर रहे, कुछ संसद में,
तुष्टिकरण की बात कर रहे, जन-गण में।
ऐसे देश द्रोही गद्दारों को, बेनकाब करो,
धर्मनिरपेक्षता का अर्थ, बता दो संसद में।


कटते रहे शीश, जवानों के सरहद पर,
उफ़ तक न कर पाए, बेटी की अस्मत पर।
ऐसे लोगो को संसद से बाहर निकालो,
अमित शाह जी, विजय रथ अभियान संभालो।


राजनाथ तुम कृष्ण, कोई अर्जुन सा बन जाओ,
कोई नकुल सहदेव, कोई भीम सा बन जाओ।
आतंकित है राष्ट्र आज फिर, धृतराष्ट्र पुत्रों से,
कौरव कुल का नाश, धर्मराज गद्दी बिठलाओ।


जिसने फूँका सोये रामभक्तों को, ट्रेनों के अन्दर,
चौरासी के दंगों में सिखों पर अत्याचार भयंकर।
सीधी सच्ची बात, सबक सिखा दो उन सबको,
पिछड़ों भटकों को, उनका हक दिलवाओ निरंतर।


खेल रहे कुछ खेल, भेदभाव का प्रतिदिन,
आतंकवादी निर्दोष बताते, दिन प्रतिदिन।
खेल घिनौना बहुत, सबको राष्ट्र बचाना होगा,
संतों! तुमको भी मिलकर आगे आना होगा।


स्वराज का अर्थ, योगी जी सबको बतलायेंगे,
सोते हुए सिंह पुत्रों को, करके सजग जगाएँगे।
चक्रव्यूह भेदन का राज, अमित शाह समझायेंगे,
रणक्षेत्र में सेना ताकत, सेना प्रमुख दिखलायेंगे।


बनना होगा लौह पुरुष, अब हेमन्त जी तुमको,
बिखरा जाति धर्म में हिन्दू,एक बनाना तुमको,
भारत "हिन्दू राष्ट्र", नरेंदर ने उदघोष किया था,
यही बात नरेंदर भाई, दोहरानी होगी तुमको।


हिंदी का परचम, शिवराज तुमको फहराना होगा,
अंग्रेजी का विष, शंकर बनकर पी जाना होगा।
नक्सलवाद समस्या देश में अब भी बड़ी सघन है,
शान्ति दूत बनकर, मोहन तुमको सुलझाना होगा।


कारगिल में विजय धवज फहराया था हमने,
पोखरण में परमाणु विस्फोट किया अटल ने।
हम सबको आज पुनः अटल बन जाना होगा,
विश्व फलक, केसरिया ध्वज फहराना होगा।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
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