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स्पर्श.......

स्पर्श.......

तेरा स्पर्श मुझे रोमांचित कर गया,
एक ही पल मे मेरा जीवन बदल गया।
तेरी चाहत मेरे ख्वाबों मे बस गयी,
मेरी साँसों पे कोई जादू सा कर गया।
जीने का कोई मकसद मेरे पास ना था,
अब मरने का कोई बहाना ना रह गया।
तेरे तसव्वुर ऩे मुझे इस तरह तडफाया है,
देखूँ जो आयना मुँह तेरा नज़र आया है।
तेरा ख्याल हर पल मुझे आता है,
सहर के सपने मे भी दीदार नज़र आता है।
सहर के ख्वाब ही तो जिया करते हैं,
सच्चाई के करीब ख़्वाब हुआ करते हैं।
मैंने तुमसे हरदम चाहा दिल की बात कहूँ,
तेरी आँखों के दर्पण मे अपने ख्वाब पढ़ूँ।
कल तेरे स्पर्श ऩे मुझको जिला दिया,
ख्वाबों को गढ़ने का अवसर दिला दिया।
तेरी आँखों मे मैंने यह दीदार किया है,
तुने भी अपनी चाहत का इज़हार किया है।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
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