"जीवन में जल बनो: प्रेरणा का स्रोत"

"जीवन में जल बनो: प्रेरणा का स्रोत"

"जीवन में कुछ बनना हो तो अपना स्वभाव "जल" की भांति बनाओ" - यह कथन जीवन में सफलता और खुशी प्राप्त करने का एक गहरा रहस्य समेटे हुए है। जल, अपनी सरलता और अनुकूलनीयता के लिए जाना जाता है, हमें जीवन जीने के अद्भुत तरीके सिखाता है।


1. अनुकूलता : जल किसी भी परिस्थिति में ढल जाता है। ऊंचे पहाड़ों से बहते हुए झरने बनकर, विशाल मैदानों में शांत नदी बनकर, या फिर विशाल महासागरों में विलीन होकर, जल अपनी क्षमताओं का सदुपयोग करता है। जीवन में भी, हमें परिस्थितियों के अनुसार ढलना सीखना चाहिए। चुनौतियों का सामना हार मानकर नहीं, बल्कि उनसे सीखकर और आगे बढ़कर करना चाहिए।


2. निरंतर प्रवाह : जल सदैव गतिमान रहता है। रुकने पर वह दूषित हो जाता है। जीवन में भी, हमें गतिशील रहना चाहिए। नित्य कुछ न कुछ नया सीखते रहना चाहिए, आत्म-विकास की ओर अग्रसर रहना चाहिए।


3. शक्ति : जल में अपार शक्ति होती है। पहाड़ों को काटकर रास्ता बनाता है, चट्टानों को तोड़ता है, फिर भी शांत बहता रहता है। जीवन में भी, हमें अपनी शक्तियों का सदुपयोग करना चाहिए। दूसरों की मदद करनी चाहिए, समाज के लिए योगदान देना चाहिए।
4. विनम्रता : जल कितना भी ऊँचा क्यों न हो, वह सदैव नीचे की ओर बहता है। हमें भी जीवन में विनम्र रहना चाहिए। अहंकार से दूर रहकर, दूसरों का सम्मान करना चाहिए।


5. जीवनदायिनी : जल जीवन का आधार है। सभी जीवों के लिए यह अनिवार्य है। हमें भी दूसरों के लिए जीवनदायिनी बनना चाहिए। दूसरों की मदद करनी चाहिए, उन्हें प्रेरित करना चाहिए।


. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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