जीवन शैली बदल रही, मोबाइल के चक्कर में

जीवन शैली बदल रही, मोबाइल के चक्कर में

मोबाइल क्रांति अद्भुत अनुपम,
हर व्यक्ति पहुंच सहज सरल।
समय महत्ता गौण बिंदु ,
आधिक्य प्रयुक्ति मधुर गरल ।
एकांकी आनंद अनुभूत अथाह ,
पर नैसर्गिक दूरियां मक्कर में ।
जीवन शैली बदल रही, मोबाइल के चक्कर में ।।


दिशा भ्रमित युक्ति अनुप्रयोग ,
सही गलत समझ अभाव ।
परिवार जन हस्तक्षेप राह ,
शत्रुवत प्रयोगकर्ता बर्ताव ।
अनावशक सामग्री दर्शन कर,
मनो व्यवहार अवांछित टक्कर में ।
जीवन शैली बदल रही, मोबाइल के चक्कर में ।।


उठना बैठना खाना पीना ,
हर काम संग उपयोग अति ।
एकाग्रता मूल तहस नहस ,
लघु स्तर मनुज मति गति ।
हर वय व्यक्ति जकड़न परिध ,
भविष्य चिंता आरेख़ दर्श लक्कर में ।
जीवन शैली बदल रही, मोबाइल के चक्कर में ।।


परिवार समाज मुस्कान मंद,
रिश्ते नाते महज औपचारिक ।
स्व चल यंत्र महत्ता परम,
वैचारिक स्तर कृत्रिम अनैतिक ।
मौलिक संवाद विलोपन पथ ,
मानवता संवेदनहीन फक्कर में ।
जीवन शैली बदल रही, मोबाइल के चक्कर में ।।


महेन्द्र कुमार(स्वरचित मौलिक रचना)
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