झूठ के पाँव नही होते, सुना था हमने,

झूठ के पाँव नही होते, सुना था हमने,

साँच को आँच नही, यह गुना था हमने।
करते गुमराह कुछ, दिन को रात बताते,
सत्य सदा अमर, शास्त्रों से चुना था हमने।

परीक्षा में अधिक नम्बरों से पास होने की चाह करते रहे,
दिन रात मेहनत लिखना पढ़ना, पढ़े को याद करते रहे।
कुछ काम करते रहे, मेहनतकशों को कैसे फैल करायें,
कुछ बेईमान, जीतने को छोड़ हराने के प्रयास करते रहे।

कोई कहता था भाजपा दो अंकों में सिमट जाएगी,
एक सौ चालीस का आँकड़ा पार नहीं कर पायेगी।
परीक्षा में खुद के नम्बरों की आकलन नहीं किया,
फेल की वजह, ईवीएम में धाँधली बताई जायेगी।

कह रहे बच्चे परीक्षा में, दो सौ पिच्चानवे आ जायेंगे,
बहुत मेहनत करी थी हमने, फैल तो नहीं हो पायेंगे।
अगर नम्बर नहीं आये, यह परीक्षक की मिलीभगत है,
सड़कों पर अराजकता, जीतने वाले पर आरोप लगायेंगे।

अ कीर्ति वर्धन
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