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क्यों आज बेटियाँ बस माँ- बाप की होती हैं

क्यों आज बेटियाँ बस माँ- बाप की होती हैं,

क्यों नहीं सास ससुर की, वह सेवा करती हैं?
क्यों नहीं रहना चाहती, वह ससुराल में अपनी,
क्यों बेटों को अलग रहने को, मजबूर करती हैं?

चाहती वह जितना, माँ- बाप को अपने,
बेटों का भी फ़र्ज़, चाहे परिवार को अपने।
मान होगा दोनों घरों का, खुशहाली आएगी,
ससुराल के लिए बहू बेटे, बन जायेंगे अपने।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
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