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अंजाना सा चेहरा

अंजाना सा चेहरा

न मेरा है न तेरा है
फिर किस बात का रोना है।
न हम किसी को जानते है
न कोई हमको पहचानता है।
फिर ये दिल कही पर भी
न जाने क्यों नहीं लगता है।
क्या ऐसा प्यार मोहब्बत में
लोगों के दिलमें होता है।।


अगर दिलमें हलचल और
बहुत बेचैनी होती है।
और दिलमें आग के शोले
अगर अंदर सुलगते है।
तो इस आग को हमको
बुझाना पहले पड़ेगा।
और किसी न किसी से
ये दिल लगाना पड़ेगा।।


बड़ा ही कोमल होता है
हमारे अंदर का ये दिल।
जो आँखो के मिलन से
किसी पर भी धड़क उठता।
और एक तस्वीर दिलमें
उसकी खिच लेता है।
फिर उसके ही सपनो में
खोया खोया सा रहता है।।


जय जिनेंद्रसंजय जैन "बीना" मुंबई
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