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गिलहरी रानी कह कहानी

गिलहरी रानी कह कहानी 

गिलहरी रानी कह कहानी ,
कहाॅं रहते तेरे नाना नानी ।
तुम तो बहुत चतुर सयानी ,
बुलाने पे करे आनाकानी ।।
रंग तेरी बहुत यह सुहानी ,
करती बहुत तुम मनमानी ।
जैसे लगती तू अभिमानी ।।
कौन राजा किसकी तू रानी ,
कितनी फूर्ति कितना पानी ।
डरी सहमी रहती तू प्राणी ,
लगती तुम बहुत हो ज्ञानी ।।
शरारत बहुत तुम हो करती ,
नाहक सबसे तुम हो डरती ।
चहुॅंओर रहता ध्यान है तेरा ,
आहट पाते पेड़ पर चढ़ती ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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