खोज रहा हूँ
खोज रहा हूँ वर्षो सेउन महान पुरुषों को।
जिनके लेखों के द्वारा ही
मिला इतिहास भारत का।
जिसमें लिखा हुआ है देखो
भगवानों की जन्मभूमि भारत को।
कितने ऋषियों मुनियों ने
इसमें दी अपनी आहुति।
राक्षस राज्य अन्त करने
लिया जन्म फिर ईश्वर ने।
और ऋषि मुनियों की कर्म-भूमि
बना दिया फिर भारत को।।
आज भी देखो कितनी श्रध्दा
बसती है इस भारत में।
तभी तो ईश्वर के नामों पर
लड़ते और झगड़ते है कैसे।
जबकि ईश्वर का कलयुग में
कोई अता-पता भी नहीं है।
बस आस्थाओं का खेल बचा है
जितना चाहो खेलो तुम इससे।
संकट तुमरे बढ़ जायेंगे और
कलयुग में भगवान बन जायेंगे।
फिर जनता दर्शन आदि करके
उनकी आरती उतरेगी।।
चारों तरफ आडंबर और अंबर
देखो कैसे सजा पड़ा है।
अंधे गूंगे और बैहरे भी अब
बिना स्वर ताल नाच रहे हैं।
कलयुग की परिभाषा को देखो
कैसे-कैसे मूर्ख हमें समझा रहे।
और अनपढ़ होकर भी देखो
रोज भविष्यवाणीयाँ सुना रहे।
पर पढ़े लिखे होकर भी देखो
उनके नारे लगा रहे।
और उस भारत की तुलना देखो
इस भारत से कर रहे।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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