कीचड़ में खिले कमल की सीख

कीचड़ में खिले कमल की सीख

जीवन एक रंगमंच है, जहाँ हम सब विभिन्न भूमिकाएं निभाते हैं। कुछ लोग आशावादी होते हैं, जो हर परिस्थिति में सकारात्मकता ढूंढते हैं, जैसे कीचड़ में खिले कमल की सुंदरता। वहीं, कुछ नकारात्मक होते हैं, जो खामियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जैसे सुंदर शीतल चाँद में दाग ढूंढते हैं।

कौन सा दृष्टिकोण बेहतर है? यह कहना मुश्किल नहीं है। सकारात्मकता हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है, हमें चुनौतियों का सामना करने और सफलता प्राप्त करने में मदद करती है। नकारात्मकता हमें निराश करती है, हमें पीछे खींचती है, और हमें असफलता की ओर ले जाती है।

तो, हमें क्या करना चाहिए? हमें हमेशा प्रशंसक बनने का प्रयास करना चाहिए, निंदक बनने का नहीं। दूसरों की अच्छाइयों को देखना चाहिए, उनकी सराहना करनी चाहिए, और उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। हमें अपनी कमियों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, अपनी खूबियों को विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए।

यह याद रखना ज़रूरी है, कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। जो चीजें हमें नकारात्मक लगती हैं, उनमें भी कुछ न कुछ सकारात्मक पहलू अवश्य होता है। हमें बस उन सकारात्मक पहलुओं को ढूंढने का प्रयास करना चाहिए।

आइए, हम सब मिलकर प्रयास करें, कि हम इस दुनिया को एक बेहतर जगह बना सकें। हम सब मिलकर सकारात्मकता फैलाएं, और एक-दूसरे को प्रेरित करें। यकीन मानिए, अगर हम सब मिलकर प्रयास करेंगे, तो हम जरूर सफल होंगे।

. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)

पंकज शर्मा (कमल सनातनी)


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