चलें शिव के दरबारे
सावन आए मेरे द्वारे ,चलें शिव के दरबारे ।
गुरुभाई व गुरुबहना ,
आओ चलें गुरुद्वारे ।।
भोले दर्शन ये कर लें ,
भाग्य जगेंगे तुम्हारे ।
गंगाजल ये चढ़ाकर ,
क्लेश मिटेंगे ये सारे ।।
ईर्ष्या द्वेष तू मिटा दे ,
हृदय होंगे तेरे न्यारे ।
खुश होंगे भोले बाबा ,
जीवन होगा उजियारे ।।
फल मधुर ये मिलेगा ,
संकट लेंगे तेरे किनारे ।
नवज्योति सदा मिलेगा ,
भोले बाबा के दरबारे ।।
पावन सावन की महिमा ,
पावन सावन के इशारे ।
आया हूॅं तुझको बुलाने ,
आ चलें शिव के दरबारे ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
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