रथयात्रा झूमर
अषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष द्वितीया आई गेलै।रथयात्रा के तिथिया आई गेलै।
रथ चढ़ी घूमैं दू गो भाई एक बहीनियां आई गेलै।
रथयात्रा के तिथिया आई गेलै।
कृष्ण बलराम संगे सुभद्रा बहीनियां रथ चढ़ी।
घूमैं पूरी नगरिया रथ चढ़ी।
भाई बहिन में देखो केतो सनेहिया संगे संगे।
तीनों घूमथि हे दइया संगे संगे।
मैया के सब पूछे कौन पूछे मौसिया इहे तीनों।
आज जैथी घर मौसिया इहे तीनों।
सात दिन तीनों रहथी घर मौसिया संगे संगे।
संगे संगे सुशील गावैं ई गीतिया संगे संगे।
जय जय जगन्नाथ बोलूं संघतियां धीरे-धीरे।
रथ खींचहो भगतिया धीरे-धीरे।
बड़का रे भैया के रथ सबसे आगे छोटका के।
रथ पीछे चलैहा छोटका के।
बहिन सुभद्रा के रथवा है बीच में धीरे-धीरे।
रथ खींचहो भगतिया धीरे-धीरे।
-सुशील कुमार मिश्र
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