झर झर आंसू बह रहे, मां की स्मृति में

झर झर आंसू बह रहे, मां की स्मृति में

जन्मदात्री उपमा बन,
ममता स्नेह लुटाया ।
अपनत्व सरित रूप धर,
आशा विश्वास जगाया ।
ज्ञान गंग विमल लहर ,
सरस स्पंदन हर कृति में ।
झर झर आंसू बह रहे, मां की स्मृति में ।।


किया परिश्रम अथक,
क्लांत न आपको देखा ।
गुंजित रहती मंद्र गिरा,
आनन पर स्मित रेखा ।
संस्कार मर्यादा अप्रतिम,
पावनता दर्श मनोवृति में ।
झर झर आंसू बह रहे, मां की स्मृति में ।।


ज्ञान मार्ग दिग्दर्शक बन,
उज्ज्वल पथ दिखाया ।
प्रेरणा पुंज शक्ति बन ,
नैतिकता मंत्र सिखाया ।
ओजमयी सहजता संग,
धर्म आस्था प्रबल प्रकृति में ।
झर झर आंसू बह रहे, मां की स्मृति में ।।


अत्यंत स्नेहिल मृदु स्वभाव,
संवाद अंतर उमंग उल्लास ।
सात्विकता दर्शन हर कदम,
उत्संग पटल वत्सल उजास ।
कोटि कोटि नमन आभार वंदन,
कामना सदा आशीष आवृति में ।।


महेन्द्र कुमार
(स्वरचित मौलिक रचना)
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