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भाव है तो भगवान है और सदगुरु भी, अन्यथा कुछ भी नहीं : माँ विजया

भाव है तो भगवान है और सदगुरु भी, अन्यथा कुछ भी नहीं : माँ विजया

  • अंतर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज द्वारा टाना भगत स्टेडियम में आयोजित हुआ भव्य गुरुपूर्णिमा महोत्सव |
  • 'आह्वान-साधना' के साथ हज़ारों इस्सयोगी साधक-साधिकाओं ने किया श्रद्धार्पण, दी गयी 'शक्तिपात-दीक्षा'|

राँची, २१ जुलाई। अंतर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज के तत्त्वावधान में, नगर के टाना भगत इनडोर स्टेडियम के भव्य सभागार में आज गुरु-पूर्णिमा महोत्सव का भव्य आयोजन संपन्न हुआ, जिसमें इंग्लैंड, जापान समेत देश-विदेश के हज़ारों इस्सयोगियों ने श्रद्धा-पूर्वक ब्रह्म-निष्ठ सदगुरुमाता माँ विजया जी के चरणों में श्रद्धा-पुष्प निवेदित किया।सदगुरुमाँ के आदेश से, आयोजन के स्थानीय संयोजक और संस्था की कार्यसमिति के सदस्य विजय रंजन ने दीप प्रज्वलित कर महोत्सव का उद्घाटन किया।
यह जानकारी देते हुए, संस्था के संयुक्त सचिव डा अनिल सुलभ ने बताया कि दीप प्रज्वलन के पश्चात आधे घंटे की सामूहिक 'आह्वान-साधना' की गई और उसके पश्चात विधि-पूर्वक गुरु-पूजन किया गया। संस्था के सचिव कुमार सहाय वर्मा और संयुक्त सचिव (मुख्यालय) ई उमेश कुमार सभी इस्सयोगियों की ओर से यज्ञमान के रूप में पूजन किया। दिल्ली के वरिष्ठ इस्सयोगी आचार्य दीनानाथ शास्त्री ने पुरोहित के रूप में सविधि गुरु-पूजन कराया।
पूजनोपरांत अपने आशीर्वचन में माताजी ने कहा कि सबके हृदय में भावनाएँ होती हैं, भाव होते हैं। 'भाव' है तो ही 'भगवान' है। इसके अभाव में भगवान भी कहाँ और सदगुरु भी कौन? इसलिए पूजा या साधना भाव से की जानी चाहिए। माता जी ने कहा गुरुपूर्णिमा की तिथि से वर्षा ऋतु के चार महीने, जिसे 'चतुर्मास' भी कहा जाता है, साधक गण आंतरिक साधना कर अपने अंतर की दिव्यता जागृत करते हैं। 'इस्सयोगी' तो प्रतिदिन सूक्ष्म आंतरिक साधना करते हैं। इस्सयोग की आंतरिक साधना से कर्मों के दुःख-भोग काटते हैं।
इस अवसर पर इस्सयोगियों ने अपने उद्गार में गुरु-महिमा और इस्सयोग के सूक्ष्म संबंधों पर चर्चा की तथा इस्सयोग किस प्रकार साधकों और समाज को सकारात्मक दिशा दे रहा है, इसकी अनुभूतियाँ प्रकट की।उ द्गार व्यक्त करने वालों में उड़ीसा से दुर्गा प्रसाद पण्डा, बंगाल से सुमन सुहासरिया, लखनऊ से राकेश कुमार श्रीवास्तव, दिल्ली से विनोद तकियावाला, मेरठ से पवन गुप्ता, कोलकाता से मीता अग्रवाल, भिलाई से जितेंद्र सिंह, धर्मेंद्र सिंह, बिहार से शैलवाला कुमारी, उमेश प्रसाद सिंह, रेणु देवी, पूनम देवी, अनिता देवी, मंजू देवी, पिंकी कुमारी के नाम सम्मिलित हैं।
संध्या में 'शक्तिपात-दीक्षा' का भी आयोजन किया गया, जिसमें श्रीमाँ ने दो सौ से अधिक नव-जिज्ञासु स्त्री-पुरुषों को 'इस्सयोग' की सूक्ष्म साधना आरंभ करने के लिए आवश्यक 'शक्तिपात-दीक्षा' प्रदान की। पुनः एक घंटे के अखंड भजन-संकीर्तन, जगत कल्याण के निमित्त आधे घंटे की सूक्ष्म 'ब्रह्माण्ड-साधना', सर्वधर्म-प्रार्थना, सांस्कृतिक-कार्यक्रम और अंत में रात्रि के महाप्रसाद के साथ यह दिव्य महोत्सव संपन्न हुआ।महोत्सव में संस्था के संयुक्त सचिव संदीप कुमार गुप्ता, लक्ष्मी प्रसाद साहू, नीना दूबे गुप्ता, शिवम् झा, सरोज गुटगुटिया, दिव्या झा, काव्या सिंह, डा जेठानंद सोलंकी, कपिलेश्वर मण्डल, बीरेन्द्र राय, माया साहू, श्रीप्रकाश सिंह, डा गीता जेना, वीरा राम, आयोजन के स्थानीय संयोजक विजय रंजन, राजीव रंजन, रवि शंकर, समेत बड़ी संख्या में संस्था के अधिकारी और स्वयंसेवक सक्रिए रहे।
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