चोर उचक्के और गुंडे भी, नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं,
भ्रष्टाचार के पोषक अग्रज, भ्रष्टाचार की बात उठाते हैं।बारह सौ का बिके सिलेंडर, वर्ष में केवल छह मिलते थे,
गैस की कालाबाजारी में लिप्त, दामों पर बात बताते हैं।
धर्म जाति में बाँट बाँट कर, जो सत्ता से खेला करते,
धर्मनिरपेक्ष शब्द गढ़ दिया, संविधान से रेला करते।
जीजा को धरती से नभ तक, सत्ता का शीर्ष बनाया,
गरीबों के सुधार नाम पर, निज घर में धन ठेला करते।
अ कीर्ति वर्द्धन
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