सन्तान मोह में धृतराष्ट्र ने अपने सौ पुत्र गवायें,
बाला साहेब ठाकरे नाकारा उद्धव को ले आये।मुलायम ने अखिलेश प्रेम में शिवपाल ठुकराया,
शरद को भी भतीजे से ज़्यादा बेटी सुप्रिया भाये।
देश बने या बिगड़े, या जाये यह भाड में,
राजशाही बनी रहे, वारिस बेटे को ही चाहे।
काश्मीर में फारूक उमर, मुफ़्ती को देखा,
राजनीति व्यापार, पार्टी बच्चों का व्यवसाय।
लालू पुत्र ‘आर जे डी एन्ड सन्स‘ के मालिक,
माँझी पुत्र मोह ग्रस्त, पासवान भी आगे आये।
अभिषेक बनर्जी तृण मूल निज बपौती बताता,
माया भी भतीजे को ही अगला वारिस बताये।
दक्षिण के भी सभी दलों में भारी दलदल देखी,
राजनीतिक दल सम्पत्ति, बच्चों को समझाये।
नेहरू से शुरू विरासत अब राहुल तक भी आयी,
पप्पू को सत्ता मिल जाये, सोनिया शोर मचाये।
अ कीर्ति वर्द्धन
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