सावन की महिमा
सावन का यह महिना है ,सावन की ही महिमा है ,
सावन पावन मनभावन ,
भोले शिव की गरिमा है ।
सावन माह हरित दर्शाई ,
खेतों में धान लहलहाई ,
सावन है त्यौहार लाया ,
रक्षाबंधन ले बहन भाई ।
बोल बम के लगे हैं नारे ,
काॅंवर काॅंधे लिए प्यारे ,
सावन का ही पा इशारे ,
चले बहन बंधु हैं हमारे ।
साजन संग सावन छोटा ,
साजन बिन सावन मोटा ,
साजन के ही इंतजार में ,
सावन लगता है खोंटा ।
काॅंवर ले चले काॅंवरिया ,
भ्रात श्वसा पी साॅंवरिया ,
हर हर बम बम लगे नारे ,
भोले दरश शिव नगरिया ।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
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