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सबके पिया आ गये साजन

सबके पिया आ गये साजन

सबके पिया आ गये साजन
तुम क्यों नहीं आये
राह देखते थक गयी अंखिया
आँख मेरी पथराये।
कितने सावन बीत गये मेरे
मेरे सावन नहीं आये
पतझड़ सा मेरा हो गया जीवन
ये सावन नहीं सुहाये।
होली बीता,दशहरा बीता
बीत गया मधुमास
अब तो मोरे आजा राजा
विश्वास मेरी डगमगाये।
बेटा भी अब राह देखता
बेटी पूछती सवाल
सबके पापा आये मम्मी
मेरे पापा क्यों नहीं आये।
तुम बिन मेरी सेज है सुनी
सुना मेरा संसार
आते-आते कहीं देर नहीं कर दो
ये प्राण निकल नहीं जाये।

अरविन्द अकेला,
पूर्वी रामकृष्ण नगर,
पटना-27
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