ऐ आसमाॅं तू ही बता दे
ऐ आसमाॅं तू ही तो बता दे ,कब होगी बारिश की समा ।
कहीं करा रहे खूब बारिश ,
कहीं सूर्य की है खूब घमा ।।
तेरी गोद में ही सब हैं पलते ,
सूरज चंद्रमा व सारे सितारे ।
देव देवियों को अदृश्य रखे ,
देवराज भी तेरे ही हैं प्यारे ।।
बादल भी तेरे ही अधीन है ,
तेरे वश सब के पालनहारे ।
बारिश बिन तप रहे हैं सारे ,
कहाॅं सोए पड़े हैं रखवारे ।।
किसको मैं यह दोष लगाऊॅं ,
क्या सूर्य की तिरछी नजर है ?
क्या मेघों को दोष लगाऊॅं ,
या छुपे इन्द्र का ये असर है ?
या रूठे हमारे पालनकर्ता ,
तुम मूरत ही बनकर बैठे हो ।
झुलस रहे हैं गर्मी में तपकर ,
तुम शान में अपने ऐंठे हो ।।
पवनदेव तुम तो कृपा करो ,
यहाॅं भी वर्षा तुम मॅंगा दो न ।
तुझे नमन हे हनुमत के पिता ,
यहाॅं भी वर्षा तुम करा दो न ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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