गीता के उपदेश का व्यावहारिक रूप थे 'जगतबंधु', पर्यावरण के प्रतीक हैं मेहता नगेंद्र:-डा अनिल सुलभ

गीता के उपदेश का व्यावहारिक रूप थे 'जगतबंधु', पर्यावरण के प्रतीक हैं मेहता नगेंद्र:-डा अनिल सुलभ

  • साहित्य सम्मेलन में आयोजित हुआ अभिनन्दन समारोह एवं कवि-सम्मेलन , भेंट में बाँटे गए औषधीय पौंधें ।
पटना, २३ जुलाई। अपने जीवन को किस प्रकार मूल्यवान और गुणवत्तापूर्ण बनाया जा सकता है, इसके जीवंत उदाहरण और प्रेरणा-पुरुष थे, जगत नारायण प्रसाद 'जगतबंधु'। वे 'गीता' को अपने जीवन में उतारने वाले सदपुरुष और साहित्यकार थे। कहा जाए तो वे गीता के उपदेश का व्यावहारिक रूप थे। उनकी हिन्दी सेवा भी स्तुत्य और अनुकरणीय है।
यह बातें मंगलवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती समारोह में सम्मेलन-अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि, 'गीतांजलि' के नाम से 'गीता' पर हिन्दी में लिखी इनकी पुस्तक, उनके विशद आध्यात्मिक ज्ञान, चिंतन और लेखन-सामर्थ्य का ही परिचय नहीं देती, पाठकों को गीता के सार को समझने की भूमि भी प्रदान करती है।
समारोह में, सम्मेलन के संरक्षक सदस्य और सुप्रसिद्ध पर्यावरण-वैज्ञानिक साहित्यकार डा मेहता नगेंद्र सिंह का, उनके ८५वें जन्म दिवस पर ससम्मान अभिनन्दन किया गया। सम्मेलन अध्यक्ष ने वंदन-वस्त्र और पुष्पहार से उनका सम्मान करते हुए, उन्हें एक कर्मठ पर्यावरण-वैज्ञानिक तथा निष्ठावान साहित्यकार बताया। उन्होंने कहा कि मेहता जी पर्यावरण-भाव के प्रतीक हैं। 'पर्यावरण-साहित्य' में इनका योगदान अभूतपूर्व है। इन्हें साहित्य की इस विधा का पुरोधा भी कहा जा सकता है। 'हरित वसुंधरा' पत्रिका के माध्यम से इन्होंने एक चिर-स्मरणीय कार्य किया है।
सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा उपेंद्र नाथ पाण्डेय, डा शंकर प्रसाद, विभा रानी श्रीवास्तव, कुमार अनुपम, डा शालिनी पाण्डेय, बाँके बिहारी साव, नरेंद्र कमार झा , चितरंजन भारती, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी आदि ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए तथा डा मेहता के दीर्घायुष्य की कामना की।
अपने कृतज्ञता ज्ञापन के क्रम में मेहता नगेंद्र ने समारोह में उपस्थित अतिथियों को औषधीय पौंधें भेंट स्वरूप प्रदान किए।इस अवसर पर एक शानदार कवि-सम्मेलन का भी आयोजन हुआ, जिसमें कवियों और कवयित्रियों ने दिल को छूने वाली पंक्तियों से श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। मेहता जी ने पर्यावरण-गीत प्रस्तुत किए। कवि-सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र द्वारा वाणी-वंदना से हुआ। वरिष्ठ कवि मधुरेश नारायण, ई अशोक कुमार, शंकर शरण मधुकर, सिद्धेश्वर, हरेंद्र सिन्हा, मोईन गिरीडीहवी, मो फ़हीम, नीता सहाय, सुनीता रंजन,प्रियंका कुमारी, आदि कवियों और कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।
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