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देहरी की रौनक होती बेटियां

देहरी की रौनक होती बेटियां

मनुज सौभाग्य जागृत,
असीम मंगलता गृह प्रवेश ।
सुख समृद्धि वैभव अनंत,
सौम्य सदाबहार परिवेश ।
दर्शन कर अनूप उपमा ,
सुलझती जीवन पहेलियां ।
देहरी की रौनक होती बेटियां ।।

हर कदम सृजन ओतप्रोत,
कुल वंश परिवार वंदन ।
धर्म कर्म परम शोभना,
मर्यादा सुसंस्कार मंडन ।
रक्षक राष्ट्र आन बान शान,
हृदय स्नेहिल अठखेलियां ।
देहरी की रौनक होती बेटियां ।।

रग रग शाश्वतता प्रवाह,
सशक्ति अनन्य गुणगान ।
आत्म विश्वास मैत्री बंधन,
संघर्ष पथ विजयी आह्वान ।
उत्तम श्रेष्ठ परिवार छवि,
माध्य साध्य मनोरम रैलियां ।
देहरी की रौनक होती बेटियां ।।

उत्संग प्रांगण अति शोभित,
स्तुति शीर्ष वत्सल श्रृंगार ।
अंतर्मन आनंद निर्झर,
संबंध मृदु अपनत्व आगार ।
पर्याय उद्गम ओज अनुपमा,
ध्येय सदा नतमस्तक चुनौतियां ।
देहरी की रौनक होती बेटियां ।।

महेन्द्र कुमार

(स्वरचित मौलिक रचना )
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