बिहार में साइबर बुलिंग की बढ़ती घटनाएं और बच्चों की सुरक्षा पर जागरूकता !

बिहार में साइबर बुलिंग की बढ़ती घटनाएं और बच्चों की सुरक्षा पर जागरूकता !

पटना-पटना के फ्रेजर रोड स्थित स्थानीय एनजीओ हेल्पलाइन परिसर में के सभागार में प्रेम यूथ फाउंडेशन और एनजीओ हेल्पलाइन की संयुक्त तत्वावधान में सेमिनार का आयोजन किया गया !

इस अवसर पर गांधीवादी प्रेम जी ने अपने वक्तव्य में कहा, "बिहार में साइबर बुलिंग की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है। पिछले पांच वर्षों में 15,543 छात्र-छात्राएं इसके शिकार हुए हैं। यह आंकड़ा हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि बच्चों की मानसिक और शारीरिक सुरक्षा के लिए हमें तत्पर होना होगा। मोबाइल का अनियंत्रित उपयोग बच्चों को मानसिक प्रताड़ना की ओर धकेल रहा है, और इसका समाधान हमें सामूहिक प्रयासों से खोजना होगा। बच्चों को साइबर सुरक्षा के महत्व को समझाना और उन्हें इंटरनेट के सुरक्षित उपयोग के बारे में शिक्षित करना आवश्यक है।" प्रेम जी ने कहा कि बच्चों को साइबर सुरक्षा के महत्व को समझाना और उन्हें इंटरनेट के सुरक्षित उपयोग के बारे में शिक्षित करना आवश्यक है।

वहीं एनजीओ हेल्पलाइन के निदेशक सीए. संजय कुमार झा ने कहा, "साइबर बुलिंग बच्चों की मानसिकता पर गहरा प्रभाव डाल रही है। यह हमारे समाज के लिए एक चिंताजनक विषय है। एनसीईआरटी की मनोदर्पण रिपोर्ट के अनुसार, साइबर बुलिंग के शिकार विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हमें बच्चों को साइबर बुलिंग के खतरों से अवगत कराना होगा और उन्हें इससे बचने के उपाय बताने होंगे। इसके साथ ही, माता-पिता और शिक्षकों को भी इस मुद्दे पर जागरूक होना होगा ताकि वे बच्चों को सही मार्गदर्शन दे सकें।"

सीए संजय कुमार झा ने साइबर बुलिंग की व्याख्या करते हुए बताया कि साइबर बुलिंग एक प्रकार की ऑनलाइन रैगिंग या उत्पीड़न है, जिसमें इंटरनेट और मोबाइल के माध्यम से किसी को मानसिक या भावनात्मक प्रताड़ना दी जाती है। इसके तहत निम्नलिखित गतिविधियां शामिल होती हैं जैसे धमकी देना,अफवाह फैलाना,किसी के बारे में झूठी और भ्रामक जानकारी फैलाना,भद्दे कमेंट या किसी पर अभद्र और अपमानजनक टिप्पणी करना, अश्लील भाषा का उपयोग,फोटो का गलत इस्तेमाल , फर्जी खाते बनाना,गंदी भाषा और धमकियाँ भेजना आदि गतिवधि शामिल होते हैं !

साइबर बुलिंग के शिकार बच्चे अक्सर मानसिक तनाव और अवसाद का सामना करते हैं। यह समस्या इसलिए भी बढ़ रही है क्योंकि बच्चों को कम उम्र में ही मोबाइल फोन मिल जाते हैं, और उन्हें यह समझ नहीं होता कि वे साइबर बुलिंग कर रहे हैं या उसके शिकार हो रहे हैं।

श्री झा ने भी इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने और बच्चों को सही मार्गदर्शन देने की बात कही। उन्होंने एनसीईआरटी की मनोदर्पण रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों को साइबर बुलिंग से बचाने के लिए स्कूलों में साइबर सुरक्षा की कक्षाएं चलाई जानी चाहिए। इसके साथ ही, माता-पिता और शिक्षकों को भी इस मुद्दे पर जागरूक होना होगा।
इस अवसर पर प्रेम यूथ फाउंडेशन के कार्यक्रम पदाधिकारी सुश्री विजय प्रेरणा तथा एनजीओ हेल्पलाइन की परियोजना समन्वयक अनवारा अली ने भी अपनी बातें रखी! इस अवसर पर युवा पत्रकार एमडी आसिफ, संतोष कुमार झा ,अमन कुमार ,सोनू कुमार पटेल अमित राज ठाकुर एवं कई युवा उपस्थित थे !
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