जब तक सांस चल रही है,

जब तक सांस चल रही है,

इस तन को खुब प्यार कर लो।
मेरे भी मन को भर दो , और
अपने भी मन को भर लो।।
सांस के तन से निकलते ही,
यह तन लाश बन जाएगा।
तब इसे कोई घर में भी नहीं रखेगा,
यह शीघ्र श्मशान को जाएगा।।
खाट पलंग गद्दा मसनद,
सब घर में ही रह जाएगा।
गाड़ी घोड़ा कुछ भी साथ न होगा,
बांस की अर्थी पर इसे ढोया जाएगा।।
वहाँ श्मशान भूमि ही शैया होगा,
और काठ ही बिस्तर होगा।
कफन से शरीर ढंका होगा,
और काठ ही का बालिश होगा।।
जिस आग को छुने से डरते थे ,
वही आग मुख में लगाया जाएगा।
जब तक तन जलकर राख न बन जाता,
तब तक चिता पर इसे जलाया जाएगा।।
इस शरीर को दिया हुआ प्यार,
किसी के अंतरात्मा में बसा रह जाएगा।
मानव जीवन की यही सच्चाई है,
और जग में बस केवल यही साथ रह जाएगा।।

जय प्रकाश कुवंर
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