जनसंख्या नियंत्रण मानव- प्रगति का आधार - डॉ विवेकानंद मिश्र

जनसंख्या नियंत्रण मानव- प्रगति का आधार - डॉ विवेकानंद मिश्र
जनसंख्या नियंत्रण की आवश्यकता और प्रासंगिकता पर आज देश के तमाम बुद्धिजीवियों को ईमानदारी से गंभीरता पूर्वक विचार करने की आवश्यकता है। यह कथन है विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर विवेकानंद मिश्र का।डॉक्टर विवेकानंद पथ स्थित आयुर्वेदिक चिकित्सा भवन में विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर उन्होंने कहा विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की एक वार्षिक आयोजन का मात्र औपचारिकता पुरी करने की कार्रवाई अपनी स्थापना काल से ही शुरू है । जबकि इसका उद्देश्य तो जनसंख्या नियंत्रण के लिए आम लोगों को जागरूक करना था, किंतु यह जागरूक लोगों की उदासीनता के कारण यह दिवस अपने लक्ष्य उद्देश्य से शत प्रतिशत असफल रहा है। यह चिंता का विषय है। 
बिहार के जाने माने सम्मानित साहित्यकार आचार्य राधामोहन मिश्र माधव ने कहा कि अबाध गति से बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण अपरिहार्य हो गया है, कोई भी प्रबुद्ध जन इसे महसूस कर सकता है। समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो जीवन-यापन कठिन ही नहीं हो जायेगा बल्कि सामाजिक स्थिति विस्फोटक हो जायेगी।
प्रसिद्ध समाजसेवी स्वामी सुमन जी ने कहा की अनियंत्रित जनसंख्या राष्ट्र की सामाजिक आर्थिक तथा राजनीतिक संरचना को असंतुलित कर रही है। आवश्यकता है यथाशीघ्र आवश्यक कार्रवाई करने की। आवश्यकता है यथाशीघ्र आवश्यक कार्रवाई करने की।
राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संत भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा एवं कौटिल्य मंच के संरक्षक आचार्य वल्लभ जी महाराज (वल्लभ धाम, वृंदावन) ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण आज विश्व समुदाय के समक्ष गंभीर चुनौती बनकर खड़ा है ।निरंतर बढ़ती जनसंख्या संपूर्ण विश्व को प्रकृति पर्यावरण को लील जाने के लिए विकराल काल सा खड़ा हो गया है। जनसंख्या नियंत्रण आज समय की अनिवार्य मांग है। 
        डॉ बी एन पांडे ने कहा कि अनियंत्रित जनसंख्या आम मानव एवं मानवता शांति सौहार्द के साथ-साथ राष्ट्र के विनाश का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।
       प्रोफेसर उमेश चंद्र मिश्र शिव ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण किए बिना प्रगतिशील राष्ट्र की कल्पना वेमानी है। 
     महासभा एवं कौटिल्य मंच के संरक्षक शिवचरण बाबू डालमिया ने कहा कि अनियंत्रित जनसंख्या के कारण ही विश्व समुदाय पर्यावरण असंतुलन की संकट से जूझ रही है।
      इस अवसर पर जिन व्यक्तियों अपने विचार व्यक्त किया उसमें प्रोफेसर मनोज कुमार मिश्रा पद्मनाभ अधिवक्ता राशिद राजीव नयन पांडेय रमाशंकर मिश्रा प्रोफेसर रीना सिंह सिद्धनाथ मिश्र डॉ ज्ञानेश भारद्वाज रूबी कुमारी तारा चक्रवर्ती नीलम पासवान दीपक पाठक शंभू गिरि सुनील मिश्रा नीरज वर्मा जितेंद्र मिश्र विनय मिश्रा अशोक दुबे डॉ मंटू मिश्रा रजनी सिंह राम भजन दास नुसरत जहां तरन्नुम तारा रेशमा परवीन तस्लीम आचार्य अभय मिश्रा प्रोफेसर राजेश मिश्रा विश्वजीत चक्रवर्ती अनंत मराठे रंजीत पाठक पवन मिश्रा रवि भूषण पाठक प्रियांशु मिश्रा मेघा मिश्रा अपर्णा मिश्रा अजय मिश्र सुनील यादव अभय कुमार सत्येंद्र यादव संगीता कुमारी प्रियंका मिश्रा पुष्पा गुप्ता पीयूषा गुप्ता शांति देवी फूल कुमारी यादव पिंकी देवी आभासीय सभा की अध्यक्षता बिहार सरकार के पूर्व मंत्री रामचंद्र दास ने किया।

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