घर, परिवार और परमानन्द

खदेरन के बगल वाले प्रसाद जी की बहू पुष्पलता उर्सुलाईन कान्वेंट से पढ़ी है.. इग्नू से एम. बी.ए भी की है.. किस्मत फूट गई है उसकी इस घर में ब्याह हो जाने से..

वर्मा जी आफिस सुपरिटेंडेंट पद से पिछले साल ही रिटायर हुए हैं.. बेटा को पढ़ाकर साफ्टवेयर इंजीनियर बना दिये. ईमानदारी से नौकरी किए.. पैसा बचाये नहीं पर रिटायरमेंट के बाद जो पैसे मिले उससे दोमंजिला घर बनवाये.. बेटे की शादी किए.. दहेज़ के बिरोधी थे सो लड़की वाले से तिलक में केवल चंदन कटोरा, सुपारी नारियल और केवल एक सिक्का ही चढ़वाए... शादी धूमधाम से किए पर सारा खर्च अपना..
...बहू आई.. बड़ी फैशनेबल... सुंदर तो थी ही पर मेकअप करने के बाद रात में भी ' इंजोरिया' का भ्रम कर देती.. वर्माइन चाची भी बहू को सवा महीने आग चूल्हा चौका से दूर रखीं.. सुबह से ही चाय नास्ता खाना सब बेडरूम में बहू को पहुँचाती.. पेंशन मिल रहा था.. बेटा बंगलोर में पोस्टेड.. अच्छा खासा कमा रहा था..पत्नी को मां बाप की सेवा के लिए छोड़ गया था... तीन महीने बाद घर आया तो... पत्नी को बेड पर पड़े पड़े मोबाईल से दिनरात चैटिंग.. फेसबुक, ह्वाटसप, मैसेंजर से फुर्सत नहीं.. पिताजी को हार्ट, डायबिटीज की बीमारी से शरीर कमजोर... माँ आर्थराइटिस की पीड़ा से व्याकुल..बैठने खड़े होने में एवरेस्ट चढ़ने जैसा महसूस करती...लंगड़ा लंगड़ा कर किचन और घर का काम करती... बेटा श्रवण कुमार..! माँ बाप की पीड़ा देख बिफर पड़ा पत्नी पर.. पत्नी दुर्गावतार.. पति को जवानी और पौरूष का खून.. गुस्से में दे दिया दो चार लप्पड़.... हालांकि पत्नी द्वारा
दांत काटे जाने के कारण पति का घाव चार महीने तक सड़ गया लोग बताते हैं....

...घर का नज़ारा ही बदल गया.. शांत, खुशहाल घर को पता नहीं किसकी नज़र लग गई?..
बहू ने फोन कर मैके से मां, बाप, भाई, दो सुंदर भाभियों के साथ मैके के आठ दस जवान गबरू लड़कों को बुला ली. . यहाँ वो तमाशा हुआ ..... बहू गाँव के बाहर चौराहे पर चिल्ला रही थी निकलकर... गाँव के लफंगों को भी सुंदर नारियों के चीखने चिल्लाने से उनके पक्ष में बोलने का जो सुअवसर मिला.. कोई गंवाना नहीं चाहा... भाड़ में जाएं वर्मा जी और उनका परिवार...
...दहेज और नारी प्रताड़ना कानून के अंतर्गत वर्मा जी, वर्माइन चाची बुढ़ापे में तथा उनका बेटा जेल चले गए. .. यह तो भला हो आफिस के पुराने सहकर्मियों का.. हाईकोर्ट से बेल कराने में तीन महीने से ऊपर लग गए तीन लोगों के लिए बेलर भी वे ही बनें..
..... अंत में बूढ़े बूढ़ी की अवस्था से द्रवीभूत होकर समाज ,पुलिस ,वकीलों के सद् प्रयास से थाने और कोर्ट में लिखकर देना पड़ा कि सपने में भी बहू को किसी प्रकार कष्ट नहीं देंगे.
..... अब बहू शेरनी हो गई... क्या मज़ाल जो एक लफ्ज़ भी कोई बहू को बोले.. समाज में मुंह दिखाने लायक वर्मा जी नहीं रहे... जीवन भर की सब भलमनसाहत और यश बुढ़ापे में तिनके तिनके सा बिखर गया..
तीन महीने बिना सूचना के अब्सेंट होने से बेटे की नौकरी गई... बेटा तो फिर बंगलोर चला गया... रोज लैपटॉप पर अलग अलग कंपनियों में जाब ढूँढ रहा है., पता नहीं कब मिलेगा?
इधर वर्मा जी का पेंशन खाते में आता है.. पर ए टी एम बहू के हाथ में है... अकेली बहू के खर्च के लिए पेंशन का पैंतीस हजार ज्यादा नहीं तो कम भी नहीं है... बूढ़े वर्मा वर्माइन को भूख, रोग और बहू के डंडे की बेतहाशा मार... (डंडा कब कहाँ लग जाए? डंडे को भी पता नहीं... ) ने इस कदर बेवश कर रखा है कि उनके कष्ट को देखकर अंगुलीमाल भी दहल जाए.... पर बहू को कहने की हिम्मत केवल बहू के मां, बाप ,भाई भाभी जुटा सकते हैं... पर भला वे कहने क्यों आएंगे?..

मजा तो तब आया जब फेसबुक पर एक लाईव प्रोग्राम दिखाने दौड़ा दौड़ा खदेरन आया-
"भैया! भैया यह देखिए"-
बहू पुष्पलता जी सुंदर नाक नक्श के साथ बार बार चेहरे पर आ रहे लटों को बडे़ स्टाईल से हटाती जातीं और बोलती जा रहीं थीं.....
"घर और परिवार को स्वर्ग घर की बहुएं ही बना सकतीं है... अपने घर के बड़े बुजुर्गों की सेवा कर.. उनकी आवश्यकताओं के अनुसार सुख , आदर, मान-सम्मान देकर... हर छोटे सदस्यों को चाहिए कि वे बड़े बुजुर्गों का ख्याल रखें..ध्यान रखें... Every younger should obey&respect to olders... तभी हम अपनी प्राचीन भारत की सभ्यता और संस्कृति को वापस ला सकते हैं.....

दस मिनट के विडियो में चालिस बार आंख ,बाल, हाथ को लहराई... बडा़ मोहक और लुभावना आदर्शपरक दृश्य था...
खदेरन मुझे और मैं खदेरन को देखे जा रहा हूँ... मैं अचानक बोला..
"देखो तो खदेरन ई टपाटप... टपाटप तीन सौ से ऊपर लाईक कमेंटस आ गया.. और लगातार आते जा रहा है... लगता है हजार पार कर जाएगा... ""हां भैया! लगता तो यही है... ओह! तो यही है घर, परिवार, स्वर्ग और परमानन्द......?
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