सावन आया मन हर्षाया
अरुण दिव्यांशसावन अपना रंग जमाया ,
अपना रंग गहरा चढ़ाया ।
सावन के रंग रंगे काॅंवरिये ,
देवाधिदेव परचम लहराया ।।
भगवा वस्त्र शीघ्र बनवाया ,
सावन आते काॅंवर उठाया ।
बोल बम का नारा गुॅंजाया ,
हर हर बम बम जल चढ़ाया ।।
चहुंओर छायी है हरियाली ,
नभ बहुत बादल मॅंडराया ।
सूखते वृक्ष हरे भरे हुए हैं ,
सावन आया मन हर्षाया ।।
सावन मास बहु मन भाया ,
सावन ने निज कर्म निभाया ।
देवों के देव और देवाधिदेव ,
शिव शंभू भोले की है माया ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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