अइलै सावन के महीनवां पिया
(ग्रामीण भाषा में रचित रचना)
अइलै सावन के महीनवां पियाजी अब कांवरिया सजाय लेहो हो।
कांवर सजाहो चाहे पिट्ठू सजाहो-२बार
सुल्तानगंज अब तू तो जैभो बलम, तौ टीकसवा कटाय लेहो हो।
भगवा रंगवा में धोतिया गमछवा -२बार
औरो तू गंजिया रंगाहो
पिया कांवरिया सजाय लेहो हो।
जुतवा छोड़हो चपलवा छोड़हो - २बार
जाएके होतो तोरा पैदल पिया अब अदतिया बनाय लेहो हो।
चूतो कभो पसीनवां तर तर,गंगाजी के बलुआ धरतिया धीपल
वैसनो में खाली गोड़े पैदल चलेके तू अदतिया बनाय लेहो हो।
भींजल तीतल कखनूं सूखल, कखनूं भूखल कखनूं तरासल
तखनौं भी बोले बम भाखत रहे के भी अदतिया बनाय लेहो हो।
गोड़ में छाला जांघें काछा होतो वहां पिया बड़ी रे तमाशा
ठेसा लगेसे गोड़ा घायल सहेके भी अदतिया बनाय लेहो हो।
थाकल मांदल दिने राते जागल - २बार
भोला के भगतिया में पागल
होवेके अदतिया बनाय लेहो हो।
-सुशील कुमार मिश्रहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
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