मानस पटल सावन में, शिवालय सा पावन

मानस पटल सावन में, शिवालय सा पावन

अंतर्मन अति प्रफुल्लित,
देख सावन मस्त बहार।
मृदुल मधुर सौम्य प्रकृति,
नेह जीवन परम आधार ।
नैराश्य संकीर्णता विलोपित,
कदम राह नैतिकता दामन ।
मानस सावन में, शिवालय सा पावन ।।


रज रज रग रग अंतर,
शुभता अथाह स्पंदन ।
हर्षित गर्वित उर कलियां,
कर हर हर महादेव वंदन ।
बम भोले दिव्य उद्घोष संग,
अप्रतिम धर्म आस्था प्रमाणन ।
मानस पटल सावन में, शिवालय सा पावन ।।


पुनीत मंगल कावड़ यात्रा,
शिव स्तुति अखंड साधना ।
अनूप जलाभिषेक शिवलिंग ,
सद्य: फल पूर्ण हर कामना ।
दुःख कष्ट पीड़ा मूल दूर ,
श्री गणेश सुख समृद्धि आवन ।
मानस पटल सावन में, शिवालय सा पावन ।।


धरा हरित सौंदर्य मनोरम,
सृजित नव आशा अभिलाषा ।
उद्गम उत्साह उमंग उल्लास ,
आनंद खुशियां सहज परिभाषा ।
सृष्टि बिंदु हर दृष्टि सुशोभित,
स्नेह प्रेम असीम बिछावन ।
मानस पटल सावन में ,शिवालय सा पावन ।।


महेन्द्र कुमार

(स्वरचित मौलिक रचना)
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