अपने और पराये
जो कल तक दोस्त थेअब वो दुश्मन बन गये हैं।
जो खाते थे कसमें यारों
सदा साथ निभानें की।
जरा सा वक्त क्या बदला
की बदल गये ये सब।
और छोड़कर साथ मेरा
चले गये कही और।।
जो अपने स्वर्थ को तुम
रखोगे जब साथ अपने।
तो कोई भी निष्ठावान
नहीं पूरा करने देगा।
और तेरे चेहरे को भी
नही पसंद करेगा।
और तेरे से दूरी भी
सदा बनाये रखेगा।।
समय ही अपने और
दोस्तों की परख कराता है।
और वर्षो के रिश्तों का
एहसास करता है।
जो साथ दे बुरे वक्त में
वो ही अपने कहलाते है।
और जो साथ छोड़ जाये
वो अपने होकर भी पराये है।।
जिंदगी की सच्चाई को
समझना जरूरी है।
सम्मान देना और लेना
स्वयं पर निर्भर है।
किसे साथ रखे और
किसे दूर करें।
और जिंदगी के लम्हों को
तुम स्वयं ही जीओं।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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