प्रलय आने वाला है

प्रलय आने वाला है

मानव ने प्रकृति से खिलवाड़ किया है। पहाड़ों को काटकर सड़कें बना डाला। जंगलों को काट अपने रहने का ठिकाना बना डाला।
अब प्रकृति ने अपना विभत्स रुप दिखा मानव को सचेत करने का प्रथम प्रयास करना आरंभ कर दिया है। उदाहरण स्वरुप विगत कुछ वर्ष पूर्व कोरोना नाम की एक बिमारी ने सम्पूर्ण विश्व को अपने आगोश में ले लिया। लोग एक दूसरे से डर कर भागने लगे। परिवार के लोग भी साथ छोड़कर हटने लगे। लाखो लोगों को इसने मौत की निंद में सुला दिया।
अभी कुछ महीने पहले ही प्रचंड गर्मी को सबने देखा। हज पर गये हजारों लोग रास्ते में ही दम तोड़ दिया। हज जाने के रास्ते लाशों से भरी पटी थी।
यदि बात बिहार की की जाए तो तापमान ५०डिग्री के आसपास पहुंच गया। रात नौ बजे तक लू का प्रकोप था। केवल बिहार में ही लगभग पचास लोग लू लगने से मौत की गोद में सो गये।
हाथरस की घटना जिसमें एक सौ तेईस लोग को मोत ने अपना शिकार बनाया।
अब जल प्रलय आरंभ हो गया।मानसून अभी पूरी तरह आया भी नहीं है पर अकेले असम में पहली बारिश में सौ लोगों की डूबने से मौत हो गई। दिल्ली एयरपोर्ट की छत गिर गयी। दिल्ली, मुम्बई जैसे महानगर पहली बारिश में ही डूब गये।
अयोध्या का नवनिर्मित सड़कें गड्ढे में तब्दील हो रहे हैं। बिहार में नदियों पर नवनिर्मित/अर्धनिर्मित पुल/पुलियां जलमग्न होते जा रहे हैं। जोशी मठ और अन्य स्थानों पर पर्वत धंस रहे हैं ।
यह आनेवाले प्रलय की चेतावनी है। हमें अभी से जागरूक होना होगा। पर्वतों की रक्षा करनी होगी। उपवन नहीं वन लगाने होंगे। इससे प्रलय कुछ वर्षों तक रोका जा सकता है।


जितेन्द्र नाथ मिश्र
कदम कुआं, पटना ।

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