चूड़ियों की खनक में,नारीत्व की परिभाषा

चूड़ियों की खनक में,नारीत्व की परिभाषा

दिव्य सनातन धर्म संस्कृति,
कंगन कर कमल अलंकरण ।
परम प्रतिष्ठा दांपत्य शोभा,
सरित प्रवाह माधुर्य अंतःकरण ।
हर धर्म पंथ समाज क्षेत्र,
महिला शक्ति अनूप अभिलाषा ।
चूड़ियों की खनक में, नारीत्व की परिभाषा ।।


विविध वर्णी अनुपमता,
आकृति मोहक वृत्ताकार ।
कांच लाख अति प्रिय,
रजत स्वर्ण शीर्षता धार ।
हाथी दांत पीतल सह
अंतर्मन मर्म विमल भाषा ।
चूड़ियों की खनक में,नारीत्व की परिभाषा ।।


नारीत्व अर्थ सहज सरल,
सौलह श्रृंगार अंग उत्संग ।
स्वर सदा कर्णस्थ चाहना,
परिवेश आच्छादित नेह रंग ।
उत्सविक आनंद चार चांद,
स्पनंदित आह्लाद उमंग आशा ।
चूड़ियों की खनक में,नारीत्व की परिभाषा ।।


कंगना शोभना अप्रतिम ,
खुशियां उद्गम परम माध्य ।
प्रीति अनुबंध मृदु भाव,
संस्कार परंपरा पथ साध्य ।
आरोग्यता ध्वनि अभिव्यंजना,
तृप्ति मंगल तृषा जिज्ञासा।
चूड़ियों की खनक में,नारीत्व की परिभाषा ।।


महेन्द्र कुमार(स्वरचित मौलिक रचना)
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