बच्चों आलस त्यागो

बच्चों आलस त्यागो

मुर्गा बोला कौआ बोला ,
चिड़िया अब चहचहाई ।
सूरज भी देखो जाग रहे ,
तुझे नींद कैसी है आई ।।
लाल सूरज रंग बदले हैं
लाल से भी हुए हैं श्वेत ।
रवि के जगने से पहले ,
चल पड़े कृषक हैं खेत ।।
बच्चों के लक्षण नहीं यह ,
इतनी देर तक सोने का ।
यह लक्षण तो है दर्शाता ,
उज्ज्वल भविष्य खोने का ।।
उज्ज्वल भविष्य खोओगे ,
आएगा वक्त यह रोने का ।
यही समय उपयुक्त तेरा ,
पुष्ट बीज अब है बोने का ।।
जगने में बहुत देर किए हो ,
सूरज से पहले तुम जागो ।
नित्य क्रिया से निवृत्त हो ,
निज कर्म क्षेत्र तुम भागो ।।
देर से जगना आदत बुरी ,
ब्रह्म बेला में ही तुम जागो ।
बुरी आदत अभी सुधारो ,
अब बच्चों आलस त्यागो ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश


डुमरी अड्डा ,
छपरा ( सारण )बिहार ।


हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ