बारिश के मौसम में,नेह परवान चढ़ रहा
उर हिलोरत आशा उमंग ,धरा अनुभूत संसर्ग तृप्ति ।
बूंदों अंतर जीवन दर्शन,
रग रग उदय आनंद दीप्ति ।
प्रकृति रूप अल्हड़ जवां ,
परिणय स्वप्न अनूप गढ़ रहा ।
बारिश के मौसम में,नेह परवान चढ़ रहा ।।
परिवेश छटा नवल धवल,
रिमझिम प्रिय मधुर स्वर ।
मेघ दामिनी उग्र संवाद,
गर्जन उद्घोष सम सरवर ।
ग्रीष्म व्याकुल जीवन चक्र ,
स्नेह स्नेह विश्रांति ओर बढ़ रहा ।
बारिश के मौसम में, नेह परवान चढ़ रहा ।।
पेड़ पौधे जीव जंतु पटल ,
अनंत खुशियां संचरण ।
दृष्टि परिध हरित अनुपमा,
रज रज उल्लास अवतरण ।
हल हरकारी पुनीत श्रृंगार,
सुकाल मंगल मंत्र पढ़ रहा ।
बारिश के मौसम में, नेह परवान चढ़ रहा ।।
जीवन शैली मस्त मलंग,
सकारात्मक आचार विचार ।
दुःख कष्ट नैराश्य विलुप्त ,
जीवन उन्मुख आनंद विहार ।
प्रकृति अदा प्रियेसी सदृश,
मिलन अभिलाष हिय कढ़ रहा
बारिश के मौसम में, नेह परवान चढ़ रहा ।।
महेन्द्र कुमार
(स्वरचित मौलिक रचना)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com