बारिश के मौसम में,नेह परवान चढ़ रहा

बारिश के मौसम में,नेह परवान चढ़ रहा

उर हिलोरत आशा उमंग ,
धरा अनुभूत संसर्ग तृप्ति ।
बूंदों अंतर जीवन दर्शन,
रग रग उदय आनंद दीप्ति ।
प्रकृति रूप अल्हड़ जवां ,
परिणय स्वप्न अनूप गढ़ रहा ।
बारिश के मौसम में,नेह परवान चढ़ रहा ।।


परिवेश छटा नवल धवल,
रिमझिम प्रिय मधुर स्वर ।
मेघ दामिनी उग्र संवाद,
गर्जन उद्घोष सम सरवर ।
ग्रीष्म व्याकुल जीवन चक्र ,
स्नेह स्नेह विश्रांति ओर बढ़ रहा ।
बारिश के मौसम में, नेह परवान चढ़ रहा ।।


पेड़ पौधे जीव जंतु पटल ,
अनंत खुशियां संचरण ।
दृष्टि परिध हरित अनुपमा,
रज रज उल्लास अवतरण ।
हल हरकारी पुनीत श्रृंगार,
सुकाल मंगल मंत्र पढ़ रहा ।
बारिश के मौसम में, नेह परवान चढ़ रहा ।।


जीवन शैली मस्त मलंग,
सकारात्मक आचार विचार ।
दुःख कष्ट नैराश्य विलुप्त ,
जीवन उन्मुख आनंद विहार ।
प्रकृति अदा प्रियेसी सदृश,
मिलन अभिलाष हिय कढ़ रहा
बारिश के मौसम में, नेह परवान चढ़ रहा ।।


महेन्द्र कुमार

(स्वरचित मौलिक रचना)
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