दशरथ का विलाप और देहांत
अवध किशोर मिश्र
श्रीरामचरित मानस के सबसे मार्मिक प्रसंगों में से एक है। तुलसीदास लिखते हैं
प्रान कंठगत भयउ भुआलू
मनि बिहीन जनु ब्याकुल ब्यालू।
इंद्रीं सकल बिकल भइँ भारी
जनु सर सरसिज बनु बिनु बारी॥
कौसल्या नृप दीख मलाना
रबिकुल रबि अंतहुं जिय जाना।
उर धरि धीर राम महतारी
बोली बचन समय अनुसारी॥
नाथ समुझि मन करिअ बिचारू
राम बियोग पयोधि अपारू।।
करनधार तुम्ह अवध जहाजू
चढ़ेउ सकल प्रिय पथिक समाजू॥
धरि धीरजु उठि बैठ भुआलू
कहु सुमंत्र कहँ राम कृपालू ।
कहाँ लखनु कहँ रामु सनेही
कहँ प्रिय पुत्रबधू बैदेही।।
बिलपत राउ बिकल बहु भाँती
भइ जुग सरिस सिराति न राती।।
तापस अंध साप सुधि आई
कौसल्यहि सब कथा सुनाई॥
हा रघुनंदन प्रान पिरीते।
तुम्ह बिनु जिअत बहुत दिन बीते ॥
हा जानकी लखन हा रघुबर।
हा पितु हित चित चातक जलधर ॥
राम राम कहि राम कहि राम राम कहि राम।
प्रान कंठगत भयउ भुआलू
मनि बिहीन जनु ब्याकुल ब्यालू।
इंद्रीं सकल बिकल भइँ भारी
जनु सर सरसिज बनु बिनु बारी॥
कौसल्या नृप दीख मलाना
रबिकुल रबि अंतहुं जिय जाना।
उर धरि धीर राम महतारी
बोली बचन समय अनुसारी॥
नाथ समुझि मन करिअ बिचारू
राम बियोग पयोधि अपारू।।
करनधार तुम्ह अवध जहाजू
चढ़ेउ सकल प्रिय पथिक समाजू॥
धरि धीरजु उठि बैठ भुआलू
कहु सुमंत्र कहँ राम कृपालू ।
कहाँ लखनु कहँ रामु सनेही
कहँ प्रिय पुत्रबधू बैदेही।।
बिलपत राउ बिकल बहु भाँती
भइ जुग सरिस सिराति न राती।।
तापस अंध साप सुधि आई
कौसल्यहि सब कथा सुनाई॥
हा रघुनंदन प्रान पिरीते।
तुम्ह बिनु जिअत बहुत दिन बीते ॥
हा जानकी लखन हा रघुबर।
हा पितु हित चित चातक जलधर ॥
राम राम कहि राम कहि राम राम कहि राम।
तनु परिहरि रघुबर बिरहँ राउ गयउ सुरधाम ॥
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com