Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

प्रथम प्रणय गीत तुम हीं,

प्रथम प्रणय गीत तुम हीं,

प्रयाण के अंतिम संगीत हो।
अंतस तम में किरण तुम हीं,
बंद अधरों की प्रीत हो।
मलय पवन के सौरभ तुम,
जग पा गयी वो जीत हो।
मरुथल के विकल उर में,
मधुबूँद बरसे वो शीत हो।
प्रलय पथ के परागकण हो,
वर्तमान,भविष्य,अतीत हो।
जो तुम हो वो कोई नहीं,
उनींदी श्वासों के जीवनगीत हो।
जीवन के कोरे पन्नों की गाथा,
भाव लिपि की रीत हो।
सित ,असित यादों की बदरी,
कनक कलश तुम पीत हो।
डॉ रीमा सिन्हा 
लखनऊ
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ