नारी सृष्टि का अलंकार है

नारी सृष्टि का अलंकार है

मृदुल मधुर सरस भाव,
जीवन पावन शब्दकोश ।
त्याग समर्पण अर्थ व्यंजना ,
समग्र खुशियां परितोष ।
सृजन सह अठखेलियां,
उज्ज्वल भविष्य झंकार है ।
नारी सृष्टि का अलंकार है ।।


स्नेह प्रेम करूणा सागर,
अंतर सरित आशा उमंग ।
परिवार समाज भव्य कड़ी ,
हर कदम मान मर्यादा कंग ।
परम सेतु संस्कार परंपरा,
शिक्षा दीक्षा प्रगति टंकार है ।
नारी सृष्टि का अलंकार है ।।


संबंध अंतर अपनत्व संज्ञा,
भूमिका निर्वहन अनूप ।
अद्भुत ओज मुखमंडल ,
सतत श्रम संग छाया धूप ।
नित्य तत्पर हौसली उड़ान,
आत्मविश्वास मैत्री हंकार है ।
नारी सृष्टि का अलंकार है ।।


सभ्यता संस्कृति धर्म रक्षक,
शक्ति भक्ति अनुपम अध्याय ।
व्यक्तित्व कृतित्व अति उत्तम ,
भावी पीढ़ी मार्गदर्शन संकाय ।
पर हित निज सुख आनंद तज,
अनैतिक पथ नित इंकार है ।
नारी सृष्टि का अलंकार है ।।


महेन्द्र कुमार

(स्वरचित मौलिक रचना)


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