राजनीति

राजनीति

मार्कण्डेय शारदेय
विघटन का यह दौर हमें कमजोर करेगा,
फुटमत का यह शोर हमें कमजोर करेगा।
जाति, पन्थ औ' क्षेत्रवाद का गोरख-धन्धा,
पुनः गुलामी ओर, हमें कमजोर करेगा।
संकेतों पर कठपुतली बनकर मत नाचो।
मदारियों के डमरू सुन-सुनकर मत नाचो।
तुम्हें नचाने से होता है इन्हें मुनाफा,
इसीलिए हर तिकड़मबाजी स्वर, मत नाचो।
क्षुद्र मत्स्य को बड़ी मछलियाँ खाती आईं,
जाति एक, पर स्वार्थ-स्वाद से कब मुड़ पाईं,
जाति-धर्म का पाठ पढ़ाकर , सपने बोकर,
राजनीति लाशों पर कुर्सी ऊपर लाई।

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