अनुवाद-साहित्य के उन्नायकों में से एक थे पं हंस कुमार तिवारी, प्रणम्य थी पीर मुहम्मद मूनिस की हिन्दी सेवा:-डा अनिल सुलभ

अनुवाद-साहित्य के उन्नायकों में से एक थे पं हंस कुमार तिवारी, प्रणम्य थी पीर मुहम्मद मूनिस की हिन्दी सेवा:-डा अनिल सुलभ

  • साहित्य सम्मेलन में स्वतंत्रता-दिवस के साथ मनयी गयी जयंती, हुआ राष्ट्र-भक्ति कवि-सम्मेलन।
पटना, 15अगस्त। हिन्दी, संस्कृत और बांगला भाषाओं के उद्भट विद्वान पं हंस कुमार तिवारी अनुवाद-साहित्य के महान उन्नायकों में परिगणित होते हैं। इन्होंने बंगला साहित्य का हिन्दी में अनुवाद के साथ ही कई अनेक मौलिक साहित्य का सृजन कर हिन्दी का भंडार भरा। राष्ट्रभाषा परिषद, बिहार के मिदेशक के रूप में उनके कार्यों को आज भी स्मरण किया जाता है। वही चंपारण-सत्याग्रह के प्रथम-ध्वजवाहकों में से एक पीर मुहम्मद मूनिस हिन्दी-सेवा के लिए याद किए जाते हैं। सन 1910 में बिहार में आहूत हुए १०वें अखिल भारत वर्षीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रमुख संयोजक थे मूनिस जी। वे बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के भी अध्यक्ष रहे।
यह बातें गुरुवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित स्वतंत्रता-दिवस-सह- जयंती समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन-अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता-संग्राम में देश के साहित्यकारों की अग्रणी भूमिका रही। साहित्य-सम्मेलन भवन आंदोलन के केंद्र में रहा। 1942 के आंदोलन में सम्मेलन के सभी अधिकारी और साहित्यकार या तो जेल में या भूमिगत थे।
डा सुलभ ने कहा कि संसार में जितनी भी क्रांतियाँ हुईं वह साहित्यकारों की लेखनी की ऊपज थीं। समाज के क्षरण को रोकने का सामर्थ्य साहित्यकारों में ही है। और, दायित्व भी उन्ही का है। आगे जो भी बदलाव होंगे साहित्य के द्वारा ही होंगे। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अवकाश प्राप्त अधिकारी और वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, अभिजीत कश्यप, ई आनन्द किशोर मिश्र तथा वायु-सेना के पूर्व अधिकारी संजय कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर, राष्ट्रभक्ति कवि-सम्मेलन का भी आयोजन किया गया, जिसका आरंभ चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना से किया। वरिष्ठ कवि दिनेश्वर लाल दिव्यांशु, डा प्रतिभा रानी, डा पूनम आनन्द, जय प्रकाश पुजारी, डा एम के मधु, सिद्धेश्वर, डा आर प्रवेश, इंदु उपाध्याय, डा अर्चना त्रिपाठी, ई अशोक कुमार, नीता सहाय, अर्जुन कुमार गुप्त, सुनीता रंजन, राजप्रिया रानी, अरुण कुमार श्रीवास्तव, प्रदीप तिवारी, अजित भारती आदि कवियों और कवयित्रियों ने अपने गीतों से अमरबलिदानियों को नमन किया। मंच का संचालन कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने किया। इसके पूर्व सम्मेलन-प्रांगण में सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने राष्ट्रीय-ध्वज फहराया और उपस्थित साहित्याकारों ने राष्ट्र-गान के साथ ध्वज को नमन किया। वरिष्ठ नृत्यांगना अंजुला कुमारी, बाँके बिहारी साव, पंकज प्रियम, धर्मेश मेहता, संजीव कर्ण, हरेंद्र सिंह, राकेश कुमार, अर्चना कुमारी, सुधांशु कुमार, निकुंज माधव, भास्कर त्रिपाठी, मधुमीता, अमित कुमार सिंह, प्रियंका सिंह, नन्दन कुमार मीत, मयंक कुमार मानस, कुमारी मेनका, डौली कुमारी, अनुराग सिंह, कुनकुन सिंह, कुमार चंद्रशेखर समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन समारोह में उपस्थित थे।
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