बातों की बातों में मत उलझो,
नैनों की बातों में मत उलझो।कहते हैं कुछ और सोचते कुछ हैं,
कवियों की बातों में मत उलझो।
कभी कभी दिन को रात बता देते,
जुगनू को सुरज सा चमका देते।
कल्पना के पंख बैठ अनूठा सृजन,
उपमाओं से नव इतिहास बना देते।
जग की पीड़ा इनको सबसे ज्यादा होती,
रिश्तों की मर्यादा भी सबसे ज्यादा होती।
दर्द जहां का दिल में लेकर घूमा करते,
आहें खुद के हिस्से में सबसे ज्यादा होती।
दिल की बात जुबां से, नहीं कहते हैं,
नफरत के बाण, जिगर पर सहते हैं।
जख्म बहुत पर लब इनके हँसते रहते,
अहसासों के जज़्बातों में नहीं बहते हैं।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com