" विश्व फ़ोटोग्राफ़ी दिवस "
यंत्र, प्रकाश और रसायन के तालमेल से फ़ोटोग्राफ़ी का हुआ उद्गम,हरेक स्थिति, पल को याद के रुप में सहेजने का माध्यम हुआ सुगम.
पहले श्वेत- श्याम रील का राज़ चला फिर हुआ रंगीन रील का राज़,
वक्त के पलटन से सबकुछ में तब्दीली आयी डिजीटल का हुआ आगाज़.
उन्नीस अगस्त अठारह सौ ऊनचालीस को हुआ फ़ोटो तत्त्व के ख़ोज का रिपोर्ट,
उसी दिन से उस दिवस के याद में मनाया जाने लगा विश्व फ़ोटोग्राफ़ी दिवस.
पहले तो बहुत कठिन था फ़ोटोग्राफ़ी और कम हुआ करते थे फ़ोटोग्राफ़र ,
मोबाईल के आने से आसान हुआ फ़ोटोग्राफ़ी और सब हो गए फ़ोटोग्राफ़र.
कला और विज्ञान व आधुनिकता का बेहतरीन समावेश है यह फ़ोटोग्राफ़ी,
हर पल को सहेज़ने, दृश्य में याद रखने का बेहतरीन माध्यम है फ़ोटोग्राफ़ी.
हर पल हर क्षण को कैदकर अमर याद बना देता है यह उम्दा यंत्र कैमरा,
सबको मुबारक हो विश्व फ़ोटोग्राफ़ी अब सभी के हाथ में है मोबाईल कैमरा.
गिरीन्द्र मोहन मिश्र.
फ़ोटो जर्नलिस्ट, जी. एम. ईस्टेट.
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