बिहार संस्कृतिक‌ विद्यापीठ में मनाया गया श्रावणी पूर्णिमा एवं संस्कृति संस्कृति संरक्षण समारोह |

बिहार संस्कृतिक‌ विद्यापीठ में मनाया गया श्रावणी पूर्णिमा एवं संस्कृति संस्कृति संरक्षण समारोह |

पटना के राजाबाजार में स्थित बिहार संस्कृतिक‌ विद्यापीठ के प्रांगण में विद्यापीठ के संचालक जगत नारायण शर्मा की अध्यक्षता में श्रावणी पूर्णिमा एवं संस्कृति संस्कृति संरक्षण दिवस मनाया गया | श्री शर्मा ने इस सन्दर्भ में बतायाकि भारत में प्रतिवर्ष श्रावणी पूर्णिमा के पावन अवसर को संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है। श्रावणी पूर्णिमा अर्थात् रक्षा बन्धन ऋषियों के स्मरण तथा पूजा और समर्पण का पर्व माना जाता है। वैदिक साहित्य में इसे श्रावणी कहा जाता था। इसी दिन गुरुकुलों में वेदाध्ययन कराने से पहले यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है। इस संस्कार को उपनयन अथवा उपाकर्म संस्कार कहते हैं। इस दिन पुराना यज्ञोपवीत भी बदला जाता है। ब्राह्मण यजमानों पर रक्षासूत्र भी बांधते हैं। ऋषि ही संस्कृत साहित्य है |

योगाचार्य श्री हृदयनारायण झा ने कहाकि दुनिया की सबसे पुरानी ज्ञात भाषाओं में से एक संस्कृत को सम्मान देने के लिए हर साल हिंदू कैलेंडर के श्रावण या सावन महीने की पूर्णिमा के दिन विश्व संस्कृत दिवस मनाया जाता है। बता दें कि इस वर्ष 2024 में यह 19 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन का प्राथमिक उद्देश्य भारत की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक संस्कृत के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उसका प्रचार करना है क्योंकि हम सबने सुना होगा कि वेद, उपनिषद और भगवद गीता जैसे कुछ महत्वपूर्ण ग्रंथों को संस्कृत में लिखा गया है।

श्री झा ने बच्चो को सम्बोधित करते हुए संस्कृत की महत्ता बताई उन्हों ने कहाकि संस्कृत सबसे पुरानी इंडो-यूरोपीय भाषाओं में से एक है और इसके पर्याप्त दस्तावेज मौजूद हैं। माना जाता है कि संस्कृत प्राचीन काल में भारतीय उपमहाद्वीप की सामान्य भाषा थी। इसका उपयोग आज भी हिंदू धार्मिक अनुष्ठानों, बौद्ध भजनों और मंत्रों और जैन ग्रंथों में किया जाता है। आधुनिक युग में भी कई स्कूल, काॅलेजों और यूनिवर्सिटी में संस्कृत भाषा का उपयोग किया जाता है।

संस्कृत भाषा का कोई जोड़ नहीं है

  • संस्कृत को सभी भाषाओं की जननी कहा जाता है।
  • संस्कृत, शांति और प्रेम की भाषा है।
  • संस्कृत संस्कृत, धर्मों और अनुष्ठानों की भाषा है।
  • लगभग १५,००० वर्षों के इतिहास के साथ संस्कृत सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है।
  • ऋग्वेद, हिंदुओं का सबसे पुराना पवित्र ग्रंथ, संस्कृत में लिखा गया है। इसमें हिंदू देवी-देवताओं को समर्पित 1,000 से अधिक भजन या सूक्त शामिल हैं।
  • फिल्मों में भी संस्कृत का प्रयोग किया गया है। अब तक छह संस्कृत फ़िल्में रिलीज़ हो चुकी हैं, एक और 2018 में रिलीज़ होने वाली है। पहली संस्कृत फ़िल्म, ‘आदि शंकराचार्य’, 1983 में रिलीज़ हुई थी, जबकि अन्य पाँच पिछले कुछ वर्षों में बनी थीं।
  • संस्कृत में प्राचीन ग्रीक और शास्त्रीय लैटिन जैसी अन्य पुरानी भाषाओं के साथ कई समानताएं हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये तीनों ही इंडो-यूरोपीय भाषाओं के परिवार से संबंधित हैं।
  • संस्कृत अब रोजमर्रा की भाषा के रूप में उपयोग नहीं की जाती है, कर्नाटक के दो गांवों, मत्तूर और होसाहल्ली में यह अभी भी कम्युनिकेशन की लैंग्वेज है।
  • हिमाचल प्रदेश में 11 मंत्रियों में से सुरेश भारद्वाज और गोबिंद सिंह ठाकुर ने संस्कृत में पद की शपथ ली, जबकि बाकी ने हिंदी में शपथ ली है।
  • 10 फरवरी 2018 को अहमदाबाद में बोली जाने वाली संस्कृत का पहला केंद्र का शुभारम्भ किया गया।

श्री रामाशीष सिंह ने बच्चो को बतायाकि संस्कृत के श्लोकों को अगर आत्मसार किया गया तो जीवन सुखी होगा | उन्हों ने छात्रो को संस्कृत के कुछ श्लोकों को भी बच्चो के बीच रखा |
वाणी रसवती यस्य, यस्य श्रमवती क्रिया, लक्ष्मी: दानवती यस्य, सफलं तस्य जीवितं।

हिंदी अर्थ- जिस मनुष्य की वाणी मधुर है, जिसका कार्य परिश्रम से युक्त है, जिसका धन दान करने में प्रयुक्त होता है, उसका जीवन सफल है।
यस्य कृत्यं न जानन्ति मन्त्रं वा मन्त्रितं परे, कृतमेवास्य जानन्ति स वै पण्डित उच्यते।

हिंदी अर्थ- दूसरे लोग जिसके कार्य, व्यवहार, गोपनीयता, सलाह और विचार को कार्य पूरा होने के बाद ही जान पाते हैं, वही व्यक्ति ज्ञानी कहलाता है।
सेवितव्यो महावृक्ष: फ़लच्छाया समन्वित:, यदि देवाद फलं नास्ति,छाया केन निवार्यते।

हिंदी अर्थ- विशाल वृक्ष की सेवा करनी चाहिए, क्योंकि वह फल और छाया दोनों से युक्त होता है। यदि दुर्भाग्य से फल नहीं हैं तो छाया को कौन रोक सकता है।
देवो रुष्टे गुरुस्त्राता गुरो रुष्टे न कश्चन:, गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता न संशयः।

हिंदी अर्थ- भाग्य रूठ जाए तो गुरु रक्षा करता है, गुरु रूठ जाए तो कोई नहीं होता। गुरु ही रक्षक है, गुरु ही रक्षक है, गुरु ही रक्षक है, इसमें कोई संदेह नहीं है।
रामो विग्रहवान् धर्मस्साधुस्सत्यपराक्रमः, राजा सर्वस्य लोकस्य देवानां मघवानिव।

हिंदी अर्थ- भगवान श्रीराम धर्म के मूर्त स्वरूप हैं, वह बड़े साधु व सत्यपराक्रमी हैं। जिस प्रकार इंद्र देवताओं के नायक है, उसी प्रकार भगवान श्रीराम हम सबके नायक हैं।
आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः, नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति।

हिंदी अर्थ- मनुष्यों के शरीर में आलस्य ही उनका सबसे बड़ा शत्रु होता है। परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा) कोई अन्य मित्र नहीं होता, क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता।
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:, चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलं।

हिंदी अर्थ- बड़ों का अभिवादन करने वाले मनुष्य और नित्य वृद्धों की सेवा करने वालों की आयु, विद्या, यश और बल (चार चीजें) बढ़ती हैं।
पुस्तकस्था तु या विद्या, परहस्तगतं च धनम्, कार्यकाले समुत्तपन्ने न सा विद्या न तद् धनम्।

हिंदी अर्थ- किताब में रखी विद्या व दूसरे के हाथो में गया धन कभी भी जरूरत के समय काम नहीं आते।
यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा, शास्त्रं तस्य करोति किं, लोचनाभ्याम विहीनस्य, दर्पण:किं करिष्यति।

हिंदी अर्थ- जिस मनुष्य के पास खुद का विवेक नहीं है, शास्त्र उसका क्या करेंगे। जैसे नेत्रविहीन व्यक्ति के लिए दर्पण व्यर्थ है।
दुर्जन:स्वस्वभावेन परकार्ये विनश्यति, नोदर तृप्तिमायाती मूषक:वस्त्रभक्षक:।

हिंदी अर्थ- दुष्ट व्यक्ति का स्वभाव ही दूसरे के कार्य बिगाड़ने का होता है। वस्त्रों को काटने वाला चूहा पेट भरने के लिए कपड़े नहीं काटता।

धन्यवाद ज्ञापन प्रभाकर चौबे ने किया एवं प्रसाद का प्रबन्धन देवेश शर्मा ने किया | इस अवसर पर सीताराम राय, सुभाष तिवारी ,देवेश शर्मा, पुरुषोत्तम शर्मा ,गणेश शर्मा, कविंद्र कुमार शर्मा , संजय राजू , रामाशीष सिंह आदि उपस्थित थे |
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