कांवड़ यात्रा,शिव शंकर परम स्तुति

कांवड़ यात्रा,शिव शंकर परम स्तुति

सृष्टि पटल श्रावण अद्भुत,
पुनीत महत्ता अपरंपार ।
रज रज स्पंदन शिवत्व,
सर्वत्र आस्था भक्ति धार ।
पावन सर सरिता नीर संग,
रुद्र रिझावत अहम युक्ति ।
कांवड़ यात्रा,शिव शंकर परम स्तुति ।।

भक्त गण अखंड साधना,
ध्येय नीलकंठ विष हरण ।
जलाभिषेक दिव्य शिवलिंग,
रग रग अनंत आनंद संचरण ।
परिवेश छटा अति मनोरम ,
जन शोभित हर हर महादेव उक्ति ।
कांवड़ यात्रा,शिव शंकर परम स्तुति ।।

परशुराम जी प्रथम उपमा,
बृजघाट सह बागपत बिंदु ।
जलाभिषेक पुरा महादेव ,
वंदन अभिनंदन कृपा सिंधु ।
तदनंतर निर्वहन भव्य परंपरा,
सरस माध्य हर स्नेह अभिव्यक्ति।
कांवड़ यात्रा,शिव शंकर परम स्तुति ।।

वर्तमान काल सुखद अनुभूति,
समता समानता भाव दर्शन ।
जनमानस सेवा हित आतुर ,
सनातन संस्कृति मूल स्पर्शन ।
दृढ़ संकल्प प्रकृति जल संरक्षण,
साधक मनोकामना पूर्ण प्रस्तुति ।
कांवड़ यात्रा, शिव शंकर परम स्तुति ।।

महेन्द्र कुमार
(स्वरचित मौलिक रचना )
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