मेरे अभिभावक

मेरे अभिभावक

---: भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र 'अणु'
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हम खेला करते थे शेरों से,
तू तुलना किया सपेरों से।
तुम क्या जानोगे धर्म मर्म,
क्यों बंधे हैं हम इन घेरों से।।
तुम नीच,नराधम,हो पापी,
मानवता का कुछ ज्ञान नहीं।
मेरा कण-कण में शंकर है,
जिसका तो तुम्हें पहचान नहीं।।
तुम क्या जानोगे मानस को,
तुम हृदयहीन कलुषित मन के।
अरे तुम गला काटते आए हो,
अपने हीं हाथों से परिजन के।।
हम हैं त्याग,तपस्या के मूर्ति,
तुम निज स्वार्थ के हो सहचर।
हम देव वंश हैं के दिव्य तनय,
और तुम हो अधमर्मी निशाचर।।
क्या तुलना होगी ये तेरी मेरी,
मैं ज्योतिपुंज हूं सगुण साकार।
तेरा तो कुछ भी है ज्ञात नहीं,
कोई ठोस सबूत या फिर आधार।।
तुम कायर,पामर हो और कृतघ्न,
छल करना बस तेरा है रहा काम।
ये मातृभूमि है बस हम मानव का,
जिसकी गाथा है ललित ललाम।।
है भारत मेरी मातृभूमि,क्रीडा करता संग सिंह शावक।
जिसकी रक्षा में प्राण दिए,थेअद्भुत मेरे अभिभावक।।
--------------------------------------------------------------------वलिदाद अरवल (बिहार)८०४४०२.
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