संस्कृति, संस्कृत और संस्कार को हमेशा रखें बरक़रार,
सम्पूर्ण मानुष जीवन में इसका सख्त होता है दरकार.प्रायः हम सब इससे दूर हो रहें हैं यह है दुखद दुर्भाग्य,
आएं हम सभी वचन लें और जागृत करें परम् सौभाग्य.
बहन - भाई की स्नेह रक्षा अच्छा प्रेम प्रतीक रक्षाबंधन,
मन में समाहित विभिन्न विकार का आज करे विसर्जन.
देव वाणी संस्कृत हो हर वाणी ,करें आदर च इस्तेमाल,
परिवार जाति से ही संस्कार मिलता इसको रखें संभाल.
आप सभी को रक्षाबंधन, संस्कृत दिवस की हार्दिक शुभकामना...
गिरीन्द्र मोहन मिश्र,
फ़ोटो जर्नलिस्ट,
जी. एम. ईस्टेट.
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