एक और अगस्त क्रांति का समय आया है

एक और अगस्त क्रांति का समय आया है

उन्नीस सौ बयालीस अगस्त क्रांति,
फिरंगी हुकूमत विरुद्ध ।
स्वतंत्रता ध्येय ओतप्रोत,
अंतःकरण भाव परिशुद्ध ।
पर आज राज पाट सब अपना ,
फिर भी हर नागरिक घबराया है ।
एक और अगस्त क्रांति का समय आया है ।।


शासन प्रशासन रग रग ,
भ्रष्टाचार मुंह बोल रहा ।
सत्य आज मौन हुआ ,
असत्य जुबां खोल रहा ।
अनैतिकता तांडव नृत्य कर,
चारों ओर हाहाकार मचाया है ।
एक और अगस्त क्रांति का समय आया है ।।


लोकतंत्र फिजाओं अंतर,
धर्म जातिवाद जहर घुला ।
मतदान परम अधिकार,
अपनी ताकत शक्ति भुला ।
दर्श कर आर्थिक असमानता,
फिर गुलामी सा अहसास पाया है ।
एक और अगस्त क्रांति का समय आया है ।।


बापू खुशहाल राष्ट्र स्वप्न,
अब धूमिल दिशा ओर ।
समता समानता भाव,
यथार्थ परे कोहराई भोर ।
तज निज संस्कृति संस्कार,
पाश्चात्यता पर अपनत्व दिखाया है ।
एक और अगस्त क्रांति का समय आया है ।।


नारी मान सम्मान बातें ,
मात्र औपचारिक खेल ।
परिवार समाज संबंध पट,
फैली स्वार्थी विषैली बेल ।
अग्र कदम अधिकार हित,
कर्तव्यों हेतु दूरी रुख अपनाया है ।
एक और अगस्त क्रांति का समय आया है ।।


महेन्द्र कुमार

(स्वरचित मौलिक रचना)


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