देखो,इठलाती बलखाती हरियाली तीज आई

देखो,इठलाती बलखाती हरियाली तीज आई

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मृदुल मधुर हिय तरंगें,
परिवेश सारा मनभावन ।
नव यौवन अंग प्रत्यंग,
मस्त मलंग सा सावन ।
झूलों पर लोक गीतों संग,
सर्वत्र आनंद बहार छाई ।
देखो,इठलाती बलखाती हरियाली तीज आई ।।


आराधना परम भाव ,
शिवत्व भव्य वंदन ।
पार्वती सम रुप धर,
पूर्ण मनोकामना स्पंदन ।
मोहक सोलह श्रृंगार कर,
शिव शंकर अनुपम रिझाई ।
देखो,इठलाती बलखाती हरियाली तीज आई ।।


हरित परिधान शोभित,
प्रकृति सह नारी तन पर ।
दर्शित संस्कार परंपरा,
लोक जीवन अंतर्मन पर ।
पुनीत पावन संबंध अंतर,
अपनत्व अथाह अंगड़ाई ।
देखो,इठलाती बलखाती हरियाली तीज आई ।।


मनोरम उत्सविक श्रृंखला,
शुभ स्नेहिल श्री गणेश ।
अखंड सौभाग्य वर वृष्टि,
घर द्वार सुख समृद्धि प्रवेश ।
देख श्रावण अनूप अदाएं ,
जनमानस कली मुस्काई ।
देखो,इठलाती बलखाती हरियाली तीज आई ।।


कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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