हिंद उत्संग मनोरम नजारा
पर्वतराज मुखमंडल शोभा,मुकुट दिव्य भव्य कश्मीर।
पंजाब बंगाल सुदृढ़ स्कंद,
नयनन पावन सम गंगा नीर ।
पश्चिमी घाट जैव विविधता ,
पूर्वी नियंत्रण जल पसारा ।
हिंद उत्संग मनोरम नजारा ।।
कन्या कुमारी चरण बिंब,
पग साधक हिंद महासागर ।
ह्रदय स्थल चंदन सुरभि,
रज रज साहस शौर्य गागर ।
अर्पण तर्पण अठखेलियों संग,
परिवेश मस्त मलंग सारा ।
हिंद उत्संग मनोरम नजारा ।।
कंकर कंकर उपमा शंकर ,
बिंदु बिंदु भागीरथी जल ।
स्वाभिमान रक्षा परम ध्येय,
भिन्नता सह एकता सकल ।
सर्व धर्म समभाव वंदित,
अभिनंदित स्नेह प्रेम भाईचारा ।
हिंद उत्संग मनोरम नजारा ।।
इतिहास पटल गर्व व्यंजना,
मार्ग दर्शक संस्कृति संस्कार ।
मर्यादा वसित लोक जीवन,
परंपराएं उत्सविक आधार ।
शिक्षा विज्ञान खेलकूद क्षेत्र,
सदा बुलंद तिरंगी जयकारा ।
हिंद उत्संग मनोरम नजारा ।।
कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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